नमस्कार दोस्तों आजकल पशुओं के लिए ऐसे sexed semen को विकसित कर लिया गया है जिससे केवल मादा बछड़ा ही पैदा होगा। इसका मतलब अब नर बछड़ा पैदा होगा ही नहीं।
तो इस वीडियो में हम विस्तार से जानेंगे सेक्स्ड सीमेन क्या है और इसके पीछे की तकनीक क्या है?
इसका उपयोग क्यों किया जा रहा है?
Semen sorting technology और मवेशियों पर इसके बड़े पैमाने पर अनुप्रयोग का बीड़ा किसने उठाया है?
क्या इसकी सफलता दर 100 प्रतिशत है?
सामान्य सीमन की तुलना में कितना महंगा है?
क्या देसी मवेशियों और भैंसों के लिए सक्सेड सिमन का इस्तेमाल किया जा सकता है?
क्या यदि केवल मादा बछड़े ही पैदा होंगे, तो क्या इससे सिमन की कमी हो सकती है?
सभी प्रश्नों का जवाब इसमें आपको मिलेंगे
Watch on YouTube – https://youtu.be/D6tX3JlgF_U
सबसे पहले जानते हैं सेक्स्ड सीमेन क्या है और इसके पीछे की तकनीक क्या है?
Sexed semen यानी लैंगिक वीर्य विशेष रूप से सांडों का संसाधित यानी Processed semen होता है Sexed semen और processed semen को जानने से पहले semen को समझते हैं जैसे सामन्यत पुरुषों के semen में X और Y chromosome यानी गुणसूत्र पाये जाते हैं और महिलाओ में XX गुणसूत्र अर्थात दोनों गुणसूत्र एक जैसे होते है जब पुरुष का X गुणसूत्र महिला के X गुणसूत्र से मिलता हैं तो लडकी होती हैं औऱ पुरुष का Y गुणसूत्र महिला के X गुणसूत्र से मिलता हैं तो लडका होता हैं इसका मतलब लडका होगा या लडकी होगी ये केवल पुरुष के गुणसूत्रों पर ही निर्भर करता हैं ना कि महिला के गुणसूत्रों पर ठीक इसी प्रकार मवेशियों की प्रजनन प्रणाली मनुष्यों के समान है। गायों में XX गुणसूत्र होते हैं जबकि बैल के semen में X और Y दोनों होते हैं। Sexed semen में सांडों के semen में जो X और Y दो गुणसूत्र होते हैं उनमे से Y गुणसूत्र जो नर बछड़ा जन्म देने के लिए उत्तरदायी होता हैं उसको 2 तकनीकों से semen से अलग कर लिया जाता है पहली ‘सॉर्टिंग प्रक्रिया’ है जिसमें X और Y गुणसूत्र अलग हो जाते हैं। इसमे X गुणसूत्र को बरकरार रखा जाता है और Y गुणसूत्र को हटा दिया जाता है। तथा दूसरी प्रक्रिया में Y गुणसूत्र को पूरी तरह से मार दिया जाता हैं। जिससे semen में केवल X गुणसूत्र ही रहता है जिसके कारण केवल मादा बछड़ा का ही जन्म हो पाता हैं। क्योंकि निषेचन के समय Y गुणसूत्र अनुपस्थित रहता हैं। इसलिए इसे processed semen कहते हैं। इन processed में फ्लो साइटोमीटर’ नामक एक उपकरण का उपयोग किया जाता हैं। ये दोनों Technologies united state आधारित कंपनियों द्वारा अग्रणी हैं।
अब जानते हैं इस sexed semen का उपयोग क्यों किया जा रहा है?
यदि एक व्यावसायिक किसान के पास 100 गायें हों और उनमें से 50 भी नर बछड़ों को जन्म दें, तो वह उन्हें पालने का जोखिम नहीं उठा सकता। वे एक बोझ बन जाते हैं एक financial burden यानी वित्तीय बोझ माने जाने वाले, नर बछड़ों को या तो मार दिया जाता है या किसानों द्वारा सड़कों पर छोड़ दिया जाता है क्योंकि वे दूध नहीं देते हैं। इसके कारण सड़कों पर घूमने वाले मवेशियों की संख्या में दिन प्रतिदिन वृद्धि हो रही है जिससे घातक सड़क दुर्घटनाएं भी हुई हैं। और वह मुख्य फसल को भी बर्बाद कर देते हैं इसलिए सेक्स semen का उपयोग करके हम दुर्घटनाओं को भी कम कर सकते हैं तथा इससे आवारा पशुओं की संख्या भी इससे कम होगी और आवारा पशुओं से जो फसल को नुकसान पहुंचाया जाता है उस नुकसान से भी बचा जा सकता है
यदि केवल मादा बछड़े ही पैदा हों, तो क्या इससे semen की कमी हो सकती है? क्योंकि सीमन सांडो द्वारा तैयार किए जाते हैं अगर हम लगातार sexed semen का उपयोग करते रहें जिससे नर बछड़े पैदा ही नहीं होंगे तो क्या इससे semen की कमी हो सकती है?
तो इसका जवाब हैं नहीं हमें उच्च गुणवत्ता वाली आनुवंशिक क्षमता वाले controlled male population की आवश्यकता है और उन्हें semen स्टेशनों पर पैदा किया जा रहा है। जो आपूर्ति करने के लिये पर्याप्त हैं इसके साथ मैंने आपको पहले भी बताया सेक्सड सीमेन 90 फीसदी मादा बछड़ा के जन्म को assured करता है, न कि 100 फीसदी। इसके साथ अच्छे semen वाले सांडों का उत्पादन आज वैज्ञानिक सफलतापूर्वक clone तकनीकी से भी कर रहे हैं अगर आपको जाना है यह क्लोन तकनीकी से कैसे इनको तैयार किया जा रहा है तो इसके लिए मैंने एक वीडियो बनाई है वह वीडियो आप देख सकते हैं जिसका लिंक आपको डिस्क्रिप्शन में दिया गया है
क्या sexed semen की सफलता दर 100 प्रतिशत है?
नहीं, मादा बछड़े के जन्म की गारंटी कभी भी 100 प्रतिशत नहीं होती है। यह 90 फीसदी तक हो सकता है। 10 प्रतिशत मामलों में, एक नर बछड़ा sexed semen का उपयोग करने के बावजूद पैदा हो सकता है क्योंकि semen में Y गुणसूत्र की sorting करने या उसको मारने के बाद भी, कुछ Y गुणसूत्र semen में रह सकते हैं जिसके कारण sexed semen की success rate अभी तक 90% ही हैं इसके साथ Sexed semen के साथ pregnancy rate भी कम हो जाती है जब पारंपरिक semen से 100 पशुओं को pregnant करवाते हैं तो उनमे से 60-70 जानवर ही pregnant हो पाते है और अगर जब sexed semen के साथ 100 पशुओं को pregnant करवाते हैं तो उनमे से 45-50 जानवर ही pregnant हो पाते है क्योंकि sorting या मारने के बाद शुक्राणुओं की संख्या कम हो जाती है। पारंपरिक semen के एक स्ट्रॉ में 10-20 मिलियन शुक्राणु होते हैं तथा सेक्स्ड सीमेन स्ट्रॉ में 2-4 मिलियन तक शुक्राणु होते है। इसलिए pregnancy rate कम होती हैं semen एस्ट्रो का मतलब होता है वह एक नली जिसमें एक पशु को प्रेग्नेंट करने के लिए पर्याप्त शुक्राणु उपस्थित होते हैं
सामान्य semen की तुलना में sexed semen कितना महंगा है?
सामान्यत sexed semen के 1 straw की कीमत 1000 se 1200 रुपये रहती हैं जो पारंपरिक semen की 1 straw की तुलना में बहुत महंगी होतीं हैं इसलिए इतनी महंगी होने के कारण ये छोटे किसानों की पहुंच से दूर हैं जिसके कारण राज्य सरकारें इस पर किसानों को छूट देकर इसको किसानों के लिए ₹100 से ₹200 के बीच उपलब्ध करा रही है जिससे छोटे से छोटे किसान तक इसको पहुंचाया जा सके और आवारा पशुओं तथा नर बछड़ो की संख्या को कम किया जा सके और किसानों को आर्थिक रूप से मजबूत किया जा सके।
Semen sorting technology और मवेशियों पर इसके बड़े पैमाने पर अनुप्रयोग का बीड़ा किसने उठाया है?
अमेरिका में कोलोराडो स्टेट यूनिवर्सिटी GSU में एक reproductive physiologist जॉर्ज ई सीडेल को ‘सॉर्टिंग प्रक्रिया’ में उनके अग्रणी शोध के लिए श्रेय दिया जाता है। उनके एक interview के अनुसार, कुछ original research 1980 के दशक में कैलिफोर्निया में लॉरेंस लिवरमोर नेशनल लेबोरेटरी में हुए थे और उनके शुक्राणुओं के अध्ययन ने ‘X’ या ‘Y’ गुणसूत्रों को ले जाने वाली शुक्राणु कोशिकाओं के बीच अंतर के बारे में खोज की थी।” हालांकि, cattle यानी मवेशियों के लिए, 1990 के दशक के अंत में, CSU में सीडेल और उनकी टीम ने Artificial insemination यानी कृत्रिम गर्भाधान के freezing और उपयोग के लिए सेक्स-सॉर्टेड मवेशी वीर्य बनाने की प्रक्रिया विकसित की और पेटेंट अधिकार भी प्राप्त किए। CSU रिसर्च फाउंडेशन के माध्यम से, उन्होंने XY Incorporated नामक एक कंपनी बनाई, जिसे बाद में टेक्सास स्थित Sexing Technologies (ST) को बेच दिया गया।
क्या देसी मवेशियों और भैंसों के लिए sexed semen का इस्तेमाल किया जा सकता है?
1960 के दशक में, हमने दूध उत्पादन बढ़ाने के लिए अपनी देशी गायों को विदेशी नस्लों के साथ पाला, लेकिन अब सरकार का ध्यान शुद्ध स्वदेशी नस्लों को बढ़ावा देने पर है। क्रॉस-ब्रीडिंग किया जा सकता है लेकिन इसको अत्यधिक recommended नहीं किया जाता है। sexed semen का उपयोग ज्यादातर HF या क्रॉस-ब्रीड गायों पर ही किया जाता है। यह देशी गाय की नस्लों जैसे साहीवाल, गिर और मुर्रा जैसी भैंसों के लिए भी उत्पादित किया जा सकता है
निष्कर्ष
मैं आशा करता हूं कि आपको मेरे द्वारा दी गई यह जानकारी जरूर पसंद आयी होगी और मेरी हमेशा यही कोशिश रहती है कि ब्लॉग पर आए सभी पाठकों को कृषि संबंधित सभी प्रकार की जानकारी प्रदान की जाए जिससे उन्हें किसी दूसरी साइट या आर्टिकल को खोजने की जरूरत जरूरत ना पड़े। इससे पाठक के समय की भी बचत होगी और एक ही प्लेटफार्म पर सभी प्रकार की जानकारी मिल जाएगी। अगर आप इस आर्टिकल से संबंधित अपना कोई भी विचार व्यक्त करना चाहते हैं तो नीचे कमेंट बॉक्स में अपना सुझाव अवश्य दें।
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