Farmers Life – किसान की ज़िंदगी। Income। Suicide Rate। Why Poor।

जमीन जल चुकी है आसमान बाकी है सूखे कुओं तुम्हारा इम्तिहान बाकी है,वह जो खेतों की मेड़ों पर बैठे हैं उनकी आंखों में अब तक ईमान बाकी है। बादलों बरस जाना समय पर इस बार किसी का मकान गिरवी तो किसी का लगान बाकी है।

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यह कहानी हर मध्यम व छोटे वर्ग के किसान की है कहते हैं इंसान सपने देखता है तो जरूर पूरे होते हैं लेकिन किसान के सपने कभी पूरे नहीं होते किसान बड़ी मेहनत शिद्दत और परिश्रम से अपनी फसल को तैयार करता है और जब फसल तैयार हो जाती है तो बहुत खुश होता है और वह मंडी जाता है। किसान मंडी पहुंचता है तो उसकी मजबूरी है और यह बहुत बड़ी विडंबना है कि वह अपने माल की कीमत खुद तय नहीं कर पाता है एक छोटा सा व्यापारी भी अपने प्रोडक्ट की कीमत खुद तय करता है एक साबुन की टिकिया पर भी उसकी कीमत लिखी हुई होती है एक माचिस की डिबिया पर और उसकी कीमत लिखी हुई होती है, लेकिन किसान कभी अपने प्रोडक्ट की कीमत खुद तय नहीं कर पाता।

यह सिलसिला कब तक यूं ही चलता रहेगा सियासत अपनी चालों से किसान को छलता रहेगा।

खैर माल बिक जाता है कीमत किसान के अनुरूप नहीं मिलती है जब किसान फसल को बेच कर उसके हाथों में पैसे लेता है तो हिसाब लगाता है कि इसमें से अभी दवाई वाले को पैसा देना है खाद वाले को पैसा देना है मजदूर को पैसा देना है अरे हां बिजली बिल भी तो जमा कराना है।

वह शान से चल नहीं पा रहा चल रहा गर्दन झुकाते- झुकाते मेरा देश का किसान परेशान है कर्ज की किस्से चुकाते-चुकाते।

सारा हिसाब लगाने के बाद उसके पास कुछ नहीं बचता और वह मायूस होकर घर की ओर लौट जाता है फिर एक नई सुबह एक नई उम्मीद के साथ पूरा परिवार उसी खेती में लग जाता है।

तन के कपड़े भी फट जाते हैं तब जाकर एक फसल लहलहाती है और लोग कहते हैं कि किसान के जिस्म से पसीने कि बदबू आती है।

यह कहानी हर छोटे व मध्यम वर्ग किसान की है और यह हर साल और हर बार दोहराई जाती है।

चीर के जमीन में उम्मीद बोता हूं मैं किसान हूं चैन की नींद कहां सोता हूं।

हम यह नहीं कहते कि फसल के दाम कभी नहीं मिलते लेकिन जब जब किसान को फसल के अच्छे दाम मिले हैं मीडिया वाले तुरंत मंडी पहुंच जाते हैं और उसको कवरेज करके उस खबर को पूरे दिन ब्रेकिंग न्यूज़ के तौर पर चलाते हैं कि आज देश में कितनी महंगाई बढ़ गई है और शहर की महिलाएं कैमरे के सामने बैठ कर अपने मेकअप को ठीक करते हुए हाथ में टोकरी लेकर और मुस्कराते हुए कहती हैं कि महंगाई बहुत बढ़ गई है और हमारे किचन का बजट भी बिगड़ गया है। उनको मैं यह कहना चाहता हूं कि 

कभी जीकर देखिए किसान की जिंदगी लोग महलों में रहकर भी खुद को परेशान कहते हैं।

आजकल शहर के लोगों को किसान से ज्यादा कुत्ते पसंद आने लगे हैं इसलिए कहता हूं कि इस बास्केट को कोने में रखकर खेत में जाकर किसान की जिंदगी देखिए।

अरे छत टपकती है उसके कच्चे मकान की फिर भी बारिश हो जाए तमन्ना है किसान कि।

वह किस तरह फसल में पानी देता है 15 लीटर की टंकी को पीठ पर लादकर छिड़काव करता है और 20 किलो की तगाड़ी को उठाकर खेत में घूम घूमकर खाद देता है, अघोषित बिजली कटौती के चलते रात रात भर बिजली चालू होने के इंतजार में जागता है, चिलचिलाती धूप में सिर का पसीना पैर तक बहता है, जहरीले जंतुओं का डर होते हुए भी नंगे पांव खेत में घूमता है। जिस दिन आप यह वास्तविकता अपने आंखों से देख लेंगे उस दिन आपके किचन में रखी फल सब्जी दूध मसाले दाल सब आपको सस्ती लगने लग जाएगी और दोस्तों आपको अंतिम यही कहना चाहता हूं कि मर रहा सीमा पर जवान और खेतों में किसान इस दुखी मन से कैसे कह दूं मेरा भारत महान।

निष्कर्ष

मैं आशा करता हूं कि आपको मेरे द्वारा दी गई यह जानकारी जरूर पसंद आयी होगी और मेरी हमेशा यही कोशिश रहती है कि ब्लॉग पर आए सभी पाठकों को कृषि संबंधित सभी प्रकार की जानकारी प्रदान की जाए जिससे उन्हें किसी दूसरी साइट या आर्टिकल को खोजने की जरूरत जरूरत ना पड़े। इससे पाठक के समय की भी बचत होगी और एक ही प्लेटफार्म पर सभी प्रकार की जानकारी मिल जाएगी। अगर आप इस आर्टिकल से संबंधित अपना कोई भी विचार व्यक्त करना चाहते हैं तो नीचे कमेंट बॉक्स में अपना सुझाव अवश्य दें।

                   यहां आने के लिए धन्यवाद।

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