मां के दूध तक पहुंचा कीटनाशक । Chemical and Pesticides in Mother Milk।

शराब पीकर तो गधा भी कुछ समय के लिए पहलवान बना फिरता है ठीक उसी प्रकार केमिकल और पेस्टिसाइड के उपयोग से मानव में भी वैसा ही प्रभाव देखने को मिल रहा है।

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मां के दूध तक पहुंचा कीटनाशक ठीक पढ़ा आपने इसके साथ सरकार निरंतर ऑर्गेनिक से ज्यादा केमिकल और पेस्टिसाइड खेती को बढ़ावा दे रही है जिससे किसानों को आर्थिक हानि, अनगिनत बीमारियां, दूषित पर्यावरण, हर जीव जंतु व आने वाली पीढ़ी के लिए खतरा यह सभी मिल रहा है।

1. मां के दूध तक पहुंचा कीटनाशक 

जिससे मासूम बच्चों के पोषण का खतरा लगातार बढ़ रहा है इसकी पुष्टि श्रीगंगानगर जिले में हुए एक शोध से हुई। मां के दूध से ज्यादा पोष्टिक कोई दूसरी चीज नहीं लेकिन कीटनाशकों और रासायनिक खादों से तैयार अन्न इस प्रकार इस पर बुरा असर डाल रहा है इस अन्न के जरिए मां के दूध में भी ऐसे तत्व घुल चुके हैं जो गंभीर बीमारियों के जनक हैं।

यह कीटनाशक तत्व दूध के जरिए शिशु के शरीर में भी जाते हैं। जो शिशु के पोषण के लिए खतरा है।  रायसिंहनगर उपखंड जो राजस्थान के श्रीगंगानगर जिले में पड़ता है उसमें विभिन्न तबके की 300 से अधिक महिलाओं पर करणपुर निवासी जीव विज्ञान प्रोफेसर नीना हांडा ने यह शोध किया इसमें शहरी व ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं को शामिल किया गया शोध के लिए मां के दूध के जो नमूने लिए गए उस में कीटनाशकों की मात्रा ज्यादा पाई गई । शोध के निष्कर्ष के मुताबिक शहरी क्षेत्रों की महिलाओं के मुकाबले ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं के दूध में अधिक कीटनाशक पाए गए।

2. कैंसर 

अन्न की खेती के दौरान उसमें काम में लिए जा रहे कीटनाशक व रासायनिक खाद से कैंसर की संभावनाओं के प्रमाण लगातार सामने आ रहे हैं। विभिन्न यूनिवर्सिटीज के रिसर्च में यह सिद्ध हो चुका है कि इसके अधिक इस्तेमाल शरीर में बीमारियां तेजी से बढ़ रही है इससे कैंसर का खतरा लगातार बढ़ रहा है।

राजस्थान राज्य कैंसर संस्थान जयपुर के अधीक्षक डॉक्टर संदीप जसूजा ने अपने दिए बयान में बताते हैं कि सरकारी अस्पतालों की ओपीडी में कैंसर के मामले लगातार बढ़ रहे हैं जसूजा आगे बताते हैं निश्चित तौर पर कैंसरकारी तत्वों के इस्तेमाल से कैंसर अधिक बढ़ने की आशंका है। खास तौर पर गेहूं जैसा अन्न जिसका सेवन हमारे यहां हर घर में होता है इसके कैंसरकारी तत्व तो सभी के लिए घातक है।

महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय उदयपुर के रिसर्च प्रभारी व वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर ए के शर्मा के अनुसार अधिकांश किसान फर्टिलाइजर या पेस्टिसाइड का उपयोग कर खेती कर रहे हैं उन्होंने आगे बताया कि राज्य सरकार की हाल ही जारी रिपोर्ट में 12% नमूनों में पेस्टिसाइड होने की पुष्टि हुई है टमाटर में 40% व तय सीमा से कम मिला लेकिन इससे भी हानिकारक माना गया है इनका नियमित उपयोग होने पर कैंसर की आशंका रहती है।

3. पिता बनने की खुशी छीन सकता है यह कीटनाशक :-

जब हम और आप बाजार से फल व सब्जियां लाते हैं और उसको लाकर हम पानी में अच्छे से  धोकर उसका छिलका उतार देते हैं और बाद में हम सोचते हैं कि पेस्टिसाइड व कीटनाशकों को इसमें से बाहर निकाल दिया लेकिन यह हमारी बहुत बड़ी गलती होती है क्योंकि पेस्टिसाइड उसके छिलके में नहीं बल्कि उसके अंदर होता है। अमेरिका स्थित हावर्ड T.H चेनरवाल स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ के शोधकर्ताओं ने हालिया अध्ययन के अनुसार अध्ययन के आधार पर यह चेतावनी दी है कि उच्च मात्रा में कीटनाशकों से दूषित फल व सब्जियों का सेवन करने वाले पुरुषों में शुक्राणुओं का उत्पादन 49 % तक कम पाया गया।

रिपोर्ट में आगे बताते हैं कि स्वस्थ शुक्रवाणुओं की संख्या में भी 32 फ़ीसदी की कमी दर्ज की गई तथा पोषक तत्वों की कमी दूर करने और जानलेवा बीमारियों का खतरा घटाने के लिए नियमित रूप से फल व सब्जियां खाना भी बेहद जरूरी है।

1500 पुरुषों पर की गई एक रिसर्च से पता चला कि उच्च मात्रा में कीटनाशकों से दूषित फल व सब्जियां खाने वाले पुरुषों में शुक्राणुओं की संख्या 8.6 करोड़ पाई गई तथा कम मात्रा में सेवन करने वाले पुरुषों में यह संख्या 11.7 करोड़ के करीब थी अर्थात ज्यादा दूषित फल सब्जियां खाने वालों में इनकी संख्या भी 5.1 फीसदी दर्ज की गई जो बाकी प्रतिभागियों से औसतन 2.4 फ़ीसदी कम थी।

4. तंत्रिका तंत्र पर भी पड़ रहा कीटनाशकों का दुष्प्रभाव :-

फसलों पर छिड़के जाने वाले कीटनाशकों और घरों की किट मच्छरों को मारने के लिए इस्तेमाल किए जा रहे कीटनाशकों का इंसानों के तंत्रिका तंत्र पर दुष्प्रभाव पड़ रहा है।

इनके दुष्प्रभाव से मूड डिसऑर्डर, चिड़चिड़ापन, डिप्रेशन, दौरे पड़ना, शरीर में ऐठन जैसी परेशानियां हो रही है। राजस्थान यूनिवर्सिटी की जूलॉजी डिपार्टमेंट में डॉक्टर नीलू कवर राजावत ने किए एक अध्ययन के अनुसार कीटनाशकों के कई वर्ग है इन्हीं में शामिल है सिंथेटिक पाथरेथोइङ्स साईफ्लूथरिन कीटनाशक तंत्रिका तंत्र में पोटेशियम और सोडियम कैंनल्स को ब्लॉक कर देता है। कैनल्स के माध्यम से ही शरीर में सिग्नल एक न्यूरॉन से दूसरे न्यूरॉन तक पहुंचते हैं ब्लॉक होने के कारण तंत्रिका सिगनल्स को आगे ट्रांसमिट नहीं कर पाती इससे दौरा पड़ने की समस्या देखी गई वहीं मस्तिष्क और तंत्रिका तंत्र आपस में समन्वय नहीं कर पाते और शरीर में ऐठन पड़ जाती है।

अब यह बीमारियों की लिस्ट देखिए जो कीटनाशक वह केमिकल से उत्पन्न हो रही है।

1. हारमोंस का बिगड़ना

2. गर्भपात की घटना में तेजी

3. हार्ट अटैक 

4. आंत का कैंसर 

5. कमजोर होती प्रतिरोधक क्षमता 

6. अनुवांशिकी में परिवर्तन 

7. ब्रेन स्ट्रोक 

8. आंखें कमजोर होना 

9. जल्दी गुस्सा आना 

10. बच्चों में चिड़चिड़ापन आदि।

निष्कर्ष

मैं आशा करता हूं कि आपको मेरे द्वारा दी गई यह जानकारी जरूर पसंद आयी होगी और मेरी हमेशा यही कोशिश रहती है कि ब्लॉग पर आए सभी पाठकों को कृषि संबंधित सभी प्रकार की जानकारी प्रदान की जाए जिससे उन्हें किसी दूसरी साइट या आर्टिकल को खोजने की जरूरत जरूरत ना पड़े। इससे पाठक के समय की भी बचत होगी और एक ही प्लेटफार्म पर सभी प्रकार की जानकारी मिल जाएगी। अगर आप इस आर्टिकल से संबंधित अपना कोई भी विचार व्यक्त करना चाहते हैं तो नीचे कमेंट बॉक्स में अपना सुझाव अवश्य दें।

                   यहां आने के लिए धन्यवाद।


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