कैसे होती है मशरूम की खेती और क्या है इसका बिजनेस।यहां समझे पूरा गणित।

किसान मशरूम की खेती करके लाखो की कमाई कर सकते हैं अब नई तकनीकी के साथ और भी आसान हुई मशरूम की खेती राष्ट्रीय मशरूम अनुसंधान केंद्र की स्थापना 1982 के साथ ही अनेक राज्यों में इसके केंद्र खोले गए तब उत्पादन मात्र 5 टन के आसपास था जो आज बढ़कर 130000 टन हो गया।

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जिस तरह आजकल किसान नए तरीके की खेती और खेती करने के भी नए तरीके अपना रहे हैं। वैसे आप भी कुछ नए तरीके से खेती कर सकते हैं ।ऐसे में आपके लिए मशरूम की खेती करना अच्छा आईडिया हो सकता है इस खेती को करने से पहले प्रशिक्षण लेना होगा यह प्रशिक्षण आप डीएमआर (डायरेक्टरेट ऑफ़ मशरूम रिसर्च सेंटर) सोलन ,हिमाचल जो कि भारत सरकार का मशरूम रिसर्च सेंटर है, से प्रशिक्षण ले सकते हैं। इसके लिए आप डीएमआर सोलन की वेबसाइट देख सकते हैं।

यह खेती 3 से 4 महीने की होने के कारण अच्छा पैसा कमा सकते हैं। ऐसे में आप इसका फायदा उठा सकते हैं जो कम समय में अधिक फायदेमंद है।ऐसे में हम आपको बताएंगे कि आप किस तरह इसका फायदा उठा सकते हैं और किस तरह खेती कर सकते हैं। साथ ही हम आपको इस खेती से होने वाले प्रॉफिट के बारे में बता रहे हैं जिससे आप अंदाजा लगा सकते हैं कि आप किस तरह से मशरूम की खेती कर सकते हैं। जानते हैं मशरूम की खेती से हर एक बात….

क्यों है अच्छी इनकम वाली खेती ?

किसान अब मशरूम की खेती करके करोड़ों की कमाई कर सकते हैं भारत सरकार ने व्यापक पैमाने पर खेती के लिए राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड द्वारा मशरूम मिशन भी बनाया गया है जिसके तहत किसान को मशरूम की खेती करने पर 20% से 30% तक सरकारी सहायता भी मिलेगी साथ इसकी खपत ज्यादा हो रही है ऐसे में आपको इसका अच्छा पैसा भी मिलेगा मशरूम से बनने वाले उत्पाद जो आप घर पर बनाकर और बाजार में बेचकर अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं।

मशरूम से बनने वाले मुख्य उत्पाद

1. मशरूम आचार
2. मशरूम की पापड़ व बड़ी
3. मशरूम बिस्किट
4. मशरूम चटनी
5. मशरूम ब्रेड पकोड़े
6. मशरूम कटलेट
7. मशरूम सूप
7.मशरूम भुजिया आदि उत्पाद

किस तरह होती है मशरूम की खेती ?

मशरूम की खेती का चक्र 3 से 4  का महीने का होता है । इसके लिए एक कंपोस्ट खाद की जरूरत होती है। जिसको बनाने के लिए सबसे पहले गेहूं का भूसा तथा यूरिया को मिलाकर अच्छे से मिलाकर तैयार कर लिया जाता है। तथा इसके तत्पश्चात पानी से गिला करके ढेर बनाते हैं तथा समय-समय पर पलटाई करते हैं और कंपोस्ट खाद तैयार हो जाती है इसको बनने में 28 से 30 दिन का समय लगता है। इसके पश्चात इस कंपोस्ट खाद को 10 किलो के पॉलिथीन बैग में भरकर साथ में मशरूम का बीज( स्पॉन )को मिला दिया जाता है।

खेती शुरू करने से पहले इन बातों का का रखना है ध्यान!
खेती शुरू करने से पहले आपको मशरूम की किस्मों की जानकारी लेनी होगी इसके पश्चात तय करना होगा कि आप किस तरह तथा किस किस्म की मशरूम उगाना चाहते हैं और आप किस तरह से बाजार में बेचने वाले हैं दरअसल मशरूम की 50,000 प्रजातियां है ,लेकिन कुछ ही प्रजातियां भारत में उगाई जाती है ।

मशरूम की मुख्य किस्में जो भारत में उगाई जाती है

1.बटन मशरूम (मुख्यतः सर्दी में ,  सबसे ज्यादा खाए जाने वाली मशरूम जिसके कारण भारत में मशरूम के कुल उत्पादन का 86% बटन मशरूम उगाई जाती है )।
2. दूध छाता मशरूम (गर्मियों में उगाई जाती है )
3.  ढींगरी मशरूम (वर्षा ऋतु में उगाई जाती है)
अन्य किस्में- गुलाबी ढींगरी मशरूम, शीताके(जापानी) मशरूम, खुंबी (पॉडेक्सिस) मशरूम , खुंबा (फ्लोरीन ऑरेनिया) मशरूम, काबुल ढींगरी मशरूम आदि।

क्या है कमाई का गणित?

बटन मशरूम  सर्दियों में ₹70 से 80 प्रति किलो तथा गर्मियों में (जो कि हाईटेक प्लांट में उगाई जाती है ) ₹300 प्रति किलो तक भाव प्राप्त होता है।
ढींगरी व दूध छाता मशरूम को तूडाई के 1 से 2 दिन में बेच दिया जाता है अन्यथा इस को छाया में सुखाकर इसका पाउडर भी बना लिया जाता है जो कि बाजार में हजार रुपए प्रति किलो तक के अनुमानित भाव से बिकता है।

निष्कर्ष :

मैं आशा करता हूं कि आपको मेरे द्वारा दी गई यह जानकारी जरूर पसंद आयी होगी और मेरी हमेशा यही कोशिश रहती है कि ब्लॉग पर आए सभी पाठकों को कृषि संबंधित सभी प्रकार की जानकारी प्रदान की जाए जिससे उन्हें किसी दूसरी साइट या आर्टिकल को खोजने की जरूरत जरूरत ना पड़े। इससे पाठक के समय की भी बचत होगी और एक ही प्लेटफार्म पर सभी प्रकार की जानकारी मिल जाएगी। अगर आप इस आर्टिकल से संबंधित अपना कोई भी विचार व्यक्त करना चाहते हैं तो नीचे कमेंट बॉक्स में अपना सुझाव अवश्य दें।

                                        यहां आने के लिए धन्यवाद।

 

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