- प्राकृतिक उपजाऊं का उत्पादन: जैविक कृषि में प्राकृतिक खाद्य पदार्थों और जैविक उर्वरकों का उपयोग होता है। इससे मिट्टी की गुणवत्ता और पोषक तत्वों का स्तर बढ़ता है जिससे पैदावार में सुधार होता है।
- प्रदूषण की कमी: जैविक खेती में कैमिकल उर्वरकों का उपयोग नहीं होता है, इसलिए वायु, जल और मिट्टी में प्रदूषण कम होता है। इससे पर्यावरण की सुरक्षा होती है और जलवायु परिवर्तन को कम किया जा सकता है।
- स्वास्थ्यप्रद: जैविक उत्पादों में कीमिकल रेसिड्यू की संख्या कम होती है, जिससे खाद्य पदार्थों का स्वाद और पोषण में सुधार होता है। जैविक उत्पादों में अधिक मात्रा में प्रोटीन, विटामिन, एंटिऑक्सिडेंट्स और मिनरल्स पाए जाते हैं जो स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होते हैं, जो आपके शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाते हैं। जैविक खाद्य उत्पादों में केमिकल्स का उपयोग नहीं होता है, जिससे यह आपके स्वास्थ्य के लिए अधिक सुरक्षित होता है।
- मिट्टी की संरक्षा: जैविक कृषि में जल व बारिश के समय पूरी मिट्टी धरती में सोखी जाती है इसलिए मिट्टी की नपुंसकता (Infertility) कम होती है। इससे जल अवशोषण और नदी में जल तैराशी के संक्रमण का कारण नहीं बनती है। जैविक खेती में मृदा को स्वस्थ रखने के लिए प्राकृतिक तत्वों का उपयोग किया जाता है। यह मृदा की गुणवत्ता बनाए रखता है, पानी को अच्छी तरह संकलित करता है और मृदा के जीवाणुओं को संतुलित रखता है।
- जैविक विविधता का संरक्षण: जैविक कृषि विविधता को संरक्षित रखने में मदद करती है। कैमिकल खेती में उर्वरकों का उपयोग करने से प्राणियों, पशुओं और पक्षियों को नुकसान पहुंच सकता है, जो कैमिकल के संक्रमण से प्रभावित होते हैं।
- प्राकृतिक खाद: जैविक कृषि में प्राकृतिक तत्वों का उपयोग किया जाता है, जैसे कि कंपोस्ट, खाद, बर्मी कॉमपोस्ट, गोबर, आदि। इससे उत्पादित खाद्य स्वास्थ्यवर्धक होता है और भोजन में प्राकृतिक तत्वों की मात्रा बढ़ती है।
- भूमि संरक्षण: जैविक कृषि में भूमि को बचाने और उसकी गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए प्राकृतिक तरीकों का उपयोग किया जाता है। यह समृद्ध जीवाश्म, कम जलने वाली मिट्टी, और जलसंरचना को सुधारने की मदद करता है।
- प्राकृतिक वातावरण की संरक्षा: जैविक कृषि में बिना केमिकल के प्राकृतिक तत्वों का उपयोग किया जाता है, जिससे प्रदूषण कम होता है और प्राकृतिक वातावरण की संरक्षा होती है।
- गुणवत्ता और स्वाद: जैविक खेती में उत्पादित खाद्य स्वादिष्ट, पोषण से भरपूर और गुणवत्ता में उच्च होता है। इससे खाद्य संबंधी बीमारियों का कम खतरा होता है और उपभोक्ता को अधिक लाभ मिलता है।
- पशुधन के लिए स्वास्थ्य: जैविक खेती में उत्पादित चारा और मखाना पशुओं के लिए स्वास्थ्यवर्धक होते हैं और उनकी उत्पादनता में सुधार करते हैं।
- किसानों के लाभ: जैविक कृषि उचित मूल्य दर सेल करने के लिए एक अच्छा विकल्प हो सकती है। इससे किसानों को अधिक मुनाफा मिलता है और उनके लिए सामरिक मार्केट की मुकाबले बेहतर बाजार निर्माण होता है।
- सामरिकता का विकास: जैविक खेती स्थानीय किसानों और ग्रामीण क्षेत्रों को आर्थिक रूप से स्वावलंबी बनाने में मदद करती है। इसके लिए कम पूंजी और साधारण तकनीक की जरूरत होती है, जो किसानों के लिए सुलभ होती है।
- पृथ्वी के लिए लाभदायक: जैविक कृषि में वातावरण के साथ संघर्ष करने वाले केमिकल्स का प्रयोग नहीं होता है। यह प्रदूषण को कम करके और मृदा की गुणवत्ता को बनाए रखकर धरती को स्वस्थ रखता है।
- मात्रा और गुणवत्ता: जैविक खेती में विभिन्न प्रकार के खाद्य सामग्री का उपयोग किया जाता है जो मृदा की गुणवत्ता को बनाए रखते हैं। इससे उत्पादों की मात्रा और गुणवत्ता में सुधार होता है, जो उच्च गुणवत्ता वाले खाद्य उत्पादों की पैदावार करता है।
- उत्पादों में प्राकृतिक रसायनों की कमी: जैविक कृषि में उपयोग किए जाने वाले कीटनाशकों, हर्बिसाइडों और उर्वरकों का उपयोग नहीं होता है। इससे उत्पादों में प्राकृतिक रसायनों की कमी होती है और उन्हें उच्च गुणवत्ता और पोषण से लाभ मिलता है।
- जीवाणुओं के प्रयोग की कमी: जैविक खेती में केमिकल्स का उपयोग कम होता है, जिससे जलवायु और जीवाणुओं को कम असर पहुंचता है। इससे महत्वपूर्ण प्राकृतिक संतुलन को संरक्षित रखा जाता है और जैविक विविधता को बढ़ावा मिलता है।
जैविक कृषि के अलावा भी और बहुत सारे लाभ हैं, जो कीमिकल खेती के मुकाबले इसे एक प्राथमिकता बनाते हैं। इसका उपयोग करके हम अपने स्वास्थ्य, पर्यावरण और कृषि उत्पादन की गुणवत्ता में सुधार कर सकते हैं। जैविक कृषि के इन लाभों से स्पष्ट होता है कि यह वैज्ञानिक तरीके से उत्पादित खाद्य के साथ-साथ प्राकृतिक तरीके से वनस्पति, पशुओं, और पृथ्वी के लिए भी बेहतर हो सकता है।